1.धैर्य महत्वपूर्ण है: यह प्रत्येक माता-पिता की सहज प्रवृत्ति होती है कि वह कठोर बनकर अपने शिशु को अनुशासित करने का प्रयास करते हैं, लेकिन माता-पिता के रूप में धैर्य रखना सबसे अच्छा होता है।
2. तैयारी: बाहर अथवा भ्रमण पर जाते समय, शिशु का ध्यान बटाने के लिए अपने साथ स्नैक्स और शिशु के कुछ पसंदीदा खिलौने साथ लेकर जाएं।
एक उपयोगी सुझाव: जब शिशु रो रहा हो तो उसे एक बार में एक खिलौना देने से वह व्यस्त रहेगा।
3.योजना बनाना: जब आपको मालूम हो कि आपके शिशु को नींद आ रही है, वह थका हुआ है अथवा उसे भूख लगी हुई तो योजनाएं बनाने से बचें। अपने शिशु के लिए गतिविधियों की योजनाएं उस समय बनाने का प्रयास करें जब वह चंचल, साहसिक मूड में हो।
4. दूर जाना: अपने शिशु के साथ समय बिताना अभिभावकता का बहुत ही प्यारा पहलू है, लेकिन कभी-कभी यह चुनौतिपूर्ण भी हो सकता है। यदि आपके शिशु के रोने की आवाज आप तक आ रही है और आप तनावग्रस्त हो जाते हैं तो गहरी, लंबी सांस लें और कुछ मिनटों के लिए दूर चले जाएं और अपने मन को शांत करें। इसे विराम की तरह लें, लेकिन यह आपके लिए होगा!
5. आराम प्रदान करें: शिशु कभी-कभी बिना कारण के रोने लगते हैं और कई बार कुछ न करना भी बहुत अच्छा हो सकता है। उन्हें दिलासा देते रहें और उम्मीद है वे बहुत जल्दी चुप हो जाएंगे।
6. विकर्षण: जब आपको लगे कि आपका शिशु आगबबूला होने वाला है तो उनका ध्यान हटाने के लिए यथाशीघ्र किसी ध्यान हटाने वाली वस्तु का इस्तेमाल करें (पसंदीदा खिलौना / कोई गीत / सीने से लगाना)।
7.आप जो जानते हैं, वही करें: अन्य शिशुओं की तरह आपका शिशु भी लोगों के बीच रोना शुरू कर सकता है।
यह उनका स्वयं को व्यक्त करने का तरीका हो सकता है और यह तनावजनक हो सकता है। परेशान न हों और झुंझलाहट से निपटने के अपने तरीके न बदलें। अध्ययनों से पता चला है कि इन छोटे-छोटे आवेगों से निपटने के लिए कार्यनीति को बदलना कारगर नहीं होगा।
8. अपने शिशु की जांच करें: कभी-कभी, आमतौर पर, जब आपका शिशु रो रहा हो तो बस एक साधारण जांच चमत्कार कर सकती है। हो सकता है वह भूखा हो, उसे नींद आ रही हो, थकान हो रही हो अथवा बस डायपर बदलने की आवश्यकता हो।
9. आप अकेले नहीं हैं: याद रहे दुनियाभर के माता-पिता उन्हीं परिस्थितियों से गुजरते हैं जिनसे आप गुजर रहे हैं और इसे अभिभावकता के सुहाने सफर में एक मोड़ की तरह लें।
10. सकारात्मकता: चाहे यह कितना भी कठिन हो लेकिन शांत और सकारात्मक दृष्टिकोण अभिभावकता के बाद के वर्षों में बहुत ही फायदेमंद होगा। शिशु बहुत अधिक सहजज्ञान युक्त होते हैं और कभी-कभी वे अपने माता-पिता की मनोदशा का अंदाजा लगा सकते है, और आपका सकारात्मक रहना उन्हें रोने से बंद करने में मदद कर सकता है!