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शिशु की त्वचा की देखरेख पद्यति!

Biểu đồ từ mang thai đến ngày sinh nở cần thiết

शिशुओं की त्वचा बहुत ही नर्म और नाजुक होती है और मां अन्य बातों के साथ-साथ उसकी त्वचा की बहुत अधिक देखभाल करती है। लेकिन त्वचा की देखरेख पद्यति के बारे में कुछ कल्पित कथा हैं जिनके बारे में हम सभी सुंदर माताओं को स्पष्टीकरण देना चाहते हैं। इसलिए, आइए आगे बढ़ते हैं!

कल्पित कथा 1: बच्चे को दूध से स्नान कराने से उसकी त्वचा बहुत अच्छी हो जाएगी।

तथ्य - यदि कोई त्वचा शोथ जैसे कि एक्जिमा से पीडि़त है, तो दूध आराम पहुंचाने के लिए बहुत अच्छा पदार्थ है। लेकिन और भी बहुत से उत्पाद हैं जिनका उतना ही आरामदायक प्रभाव होता है। दूध त्वचा को नम और तैलीय बनाता है और इसे अपने शिशु की त्वचा पर सूर्यदाह अथवा ददोरों के लिए संकुचित करने के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। अपने बच्चे की त्वचा की गुणवत्ता को उत्कृष्ट बनाए रखने के लिए प्रतिदिन दूध से स्नान कराने की आवश्यकता नहीं है। 

कल्पित कथा 2:एक्जिमा (खुजली) जैसी त्वचा की समस्याएं तनाव का स्तर बढ़ने के साथ बढ़ जाती हैं

तथ्य - इस बात में कोई संदेह नहीं है कि तनाव से त्वचा संबंधी समस्याएं बढ़ जाती हैं और इससे व्यक्ति को अधिक खुजली होने लगती है। त्वचा शोथ सीधे तनाव से संबंधित है। मुँहासे, सोरायसिस और एक्जिमा त्वचा की कुछ ऐसी समस्याएं हैं जो तनाव का स्तर बढ़ने पर गंभीर हो सकती है। यदि आपके बच्चे को कोई त्वचा संबंधी समस्या है, तो सलाह दी जाती है कि अपने बच्चे को बाल-रोग विशेषज्ञ को दिखाएं।

कल्पित कथा 3:बैक्टीरिया रोधी टॉयलेटरीज़ के इस्तेमाल से आपके शिशु की त्वचा अपेक्षाकृत अधिक साफ रहती है

तथ्य - हमारी त्वचा को बैक्टीरिया मुक्त करना संभव नहीं है क्योंकि मानव त्वचा में प्राकृतिक रूप में (नुकसान रहित) बैक्टीरिया होते हैं। हां, बैक्टीरिया रोधी टॉयलेटरीज आपके शिशु की त्वचा को अपेक्षाकृत अधिक साफ रख सकती है लेकिन यह सलाह दी जाती है कि बैक्टीरिया रोधी टॉयलेटरीज का इस्तेमाल प्रतिदिन न करें क्योंकि ऐसा करने से बैक्टीरिया के प्रति प्रतिरोध उत्पन्न हो सकता है। इसलिए, शिशुओं के लिए बने टॉयलेटरीज का प्रतिदिन इस्तेमाल करें।

कल्पित कथा 4: कुछ चीनी लोगों के बीच अवधारण है कि आप गर्भावस्था के दौरान जो कुछ खाती हैं उससे आपके शिशु की त्वचा का रंग प्रभावित होगा।

तथ्य - कुछ चीनी लोगों का मानना है कि गर्भावस्था के दौरान हल्के रंग के पदार्थ जैसे सोयाबीन अथवा टोफू खाने से नवजात शिशु की त्वचा का रंग प्रभावित होगा।यह सही नहीं है क्योंकि गर्भावस्था के दौरान आप जो खाना खाती हैं उसका नवजात की त्वचा के रंग से कोई लेना-देना नहीं है। शिशु की त्वचा का रंग जीन द्वारा निर्धारित होता है, अत: ऐसी अवधारणों पर कोई ध्यान न दिए जाने की सलाह दी जाती है।

कल्पित कथा 5: कुछ भारतीयों के बीच यह अवधारणा है कि यदि गर्भवती महिला अथवा स्तानपान कराने वाली महिला केसरयुक्त दूध पीती है तो नवजात की त्वचा का रंग गोरा होगा

तथ्य - यद्यपि भारत में गोरी त्वचा के लिए केसरयुक्त दूध पीना आम बात है तथापि इसकी पुष्टि करने के लिए कोई प्रमाण नहीं है। आपके शिशु की त्वचा का रंग जीन द्वारा निर्धारित किया जाता है और हम यह भी बताना चाहेंगे कि केसर दुनिया में सबसे महंगा मसाला है। हम जानते हैं कि माता-पिता के रूप में आप अपने बच्चे के लिए सबसे अच्छे की चाहत रखते हैं लेकिन आप जिस पद्यति के बारे में सुनते अथवा पढ़ते हैं उसको अपनाने से पहले अधिक सजग रहें और तर्क का इस्तेमाल करें। अत: यदि आपको केसरयुक्त दूध का स्वाद अच्छा लगता है, तो आप गर्भावस्था के दौरान इसे पी सकती हैं लेकिन इससे काल्पनिक परिणाम की उम्मीद न करें।

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